Monday, November 30, 2020

माँ

एक कविता मेरी माँ के लिए

है वो मेरे घर की शान,
उनमें बसती हैं हम सब की जान ।
भोली प्यारी सी है मेरी माँ ।।

जब भी घर से दूर जाती है,
माँ की याद सताती है ।

बिन उनके मुझे रात को नींद नहीं आती है ।
उनकी थपकियो की तब याद बहुत आती है ।।

तीस साल बीताए जिसके आंचल में,
अब वो मुझें रुख़सत करना चाहती है।

मेरी खुशी के लिए मुझे खुद से दूर वो करना चाहती है।
उनकी यह बात आंख में मेरे आंसू ले आती है।। 

है पता मुझें विदा करके वो सबसे ज्यादा खुश होएगी ।
मुझें फिर याद करके वो सबसे ज्यादा रोएगी।।

होता है माँ - बेटी का रिश्ता सबसे खास ।
यह एहसास नहीं होता है सबके पास ।।

ख़ुशनसीब है वो जिनके पास होती हैं माँ ।
खुशियाँ ढूंढने की नौबत उनको फिर आती हैं कहाँ।।


             ©Anuradha

Monday, July 6, 2020

उम्मीद



आजकल मन जरा बेचैन सा रहता है,
होंठों पे मुस्कान, दिल उदास सा रहता है।

इंतजार में हर पल अब गुजरता है,
अब दीदार करने को मन तरसता है।
यादों के इस तूफान में मन कश्ती सा भटकता है।

आँख भर आती हैं, याद उसकी जब भी आती है ।
उसके बस एक खयाल से नींद मेंरी उड जाती है।

फिर भी दिल को उससे कोई गिला न शिकवा है,
कयोंकि वो भी कुछ ऐसे ही आजकल जीता है।

हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही मिलेंगे और फिर कभी न बिछड़ेंगे। 
यह जुदाई जरा सी लम्बी है, मिलने की उम्मीद उतनी ही पक्की है।

फिर बनाएँगे हम लम्हों का जहान कुछ और नई यादें और नया कारवां 
निकलेंगे सतरंगी सफर पर फिर हाथ पकड़ कर।

यह समय भी गुजर जाएगा, प्यार का मौसम जल्द ही आएगा ।
आशाओं का सूरज उम्मीदों की धूप फिर चमकाएगा।


                                              ©Anuradha



Sunday, April 19, 2020

मेरी कहानी

                                                            

वो कहते है अब घर में ही रहना होगा 
बिन कुछ कहे सब सहना होगा 
अपने सपने भूलकर दूसरों के सपने जीना होगा 


वो कहते है अब कहीं न आना कहीं न जाना होगा 
अपनी खुशी से पहले ओरो की खुशी को चुनना होगा
अपने आँसू पी कर मुसकराकर जीना सिखना होगा 
कभी बेटी कभी पत्नी कभी माँ बनकर फर्ज निभाते जाना होगा ।


रेत - सी हाथ से निकलती जिंदगी अब भी जीना चहाती हूँ
अधूरे - से संपने अभी भी पूरा करना चाहती हूँ 
अधूरी रह गयीं आस को अब भी पाना चहाती हूँ 
उन टूटे पंखो से आसमां को अभी भी छूना चहाती हूँ


वो कहते है अब वो समय नहीं, अब वो  दौर नहीं
अब जीवन पहला - सा नहीं, अब मैं पहले - सी मैं नहीं


वो कहते है यही मेरी जिदंगी की कहानी है, 
थोड़ी जिम्मेदारियां अभी और निभानी है ।


क्या यह सिर्फ मेरी कहानी है या आपकी मेरी जुबानी है ?


                                              ©Anuradha

माँ

एक कविता मेरी माँ के लिए है वो मेरे घर की शान, उनमें बसती हैं हम सब की जान । भोली प्यारी सी है मेरी माँ ।। जब भी घर से दूर जाती है, माँ की ...