एक कविता मेरी माँ के लिए
है वो मेरे घर की शान,
उनमें बसती हैं हम सब की जान ।
भोली प्यारी सी है मेरी माँ ।।
जब भी घर से दूर जाती है,
माँ की याद सताती है ।
बिन उनके मुझे रात को नींद नहीं आती है ।
उनकी थपकियो की तब याद बहुत आती है ।।
तीस साल बीताए जिसके आंचल में,
अब वो मुझें रुख़सत करना चाहती है।
मेरी खुशी के लिए मुझे खुद से दूर वो करना चाहती है।
उनकी यह बात आंख में मेरे आंसू ले आती है।।
है पता मुझें विदा करके वो सबसे ज्यादा खुश होएगी ।
मुझें फिर याद करके वो सबसे ज्यादा रोएगी।।
होता है माँ - बेटी का रिश्ता सबसे खास ।
यह एहसास नहीं होता है सबके पास ।।
ख़ुशनसीब है वो जिनके पास होती हैं माँ ।
खुशियाँ ढूंढने की नौबत उनको फिर आती हैं कहाँ।।
©Anuradha